चंडीगढ़, 1 सितंबर 2025 – चंडीगढ़ नगर निगम की हाल ही में हुई बैठक में मनीमाजरा की 7.7 एकड़ भूमि की बिक्री से संबंधित एजेंडे को आनन-फानन में पारित करने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्षदों ने सत्ता पक्ष पर ‘महाघोटाले’ का आरोप लगाते हुए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता और पार्षद प्रेमलता ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष ने कांग्रेस और आप के पार्षदों को मार्शल बुलाकर जबरन बाहर भिजवाया और बिना किसी चर्चा के इस एजेंडे को पारित कर दिया। विपक्षी पार्षदों का मानना है कि इस प्रक्रिया में जरूर कोई घोटाला है, तभी एजेंडे को इतनी जल्दबाजी में पास किया गया।
विपक्षी पार्षदों ने चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर इस मामले की गहनता से जांच करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि इस सौदे से नगर निगम को 200 से 300 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त राजस्व नुकसान होगा, जो शहर के विकास और वित्तीय स्थिरता के साथ सीधा धोखा है। उन्होंने इसे चंडीगढ़ नगर निगम के इतिहास का एक महाघोटाला बताया है, जो भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
विपक्षी पार्षदों ने प्रशासक से एजेंडे को तत्काल प्रभाव से रद्द करने, दोबारा सभी पार्षदों की सहमति से चर्चा करने और गलत इरादे से इसे पास कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि भविष्य में नगर निगम की किसी भी संपत्ति के सौदे में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया को अनिवार्य बनाया जाए ताकि जनहित और निगम की आय सुरक्षित रह सके।