चंडीगढ़: आज सुबह लगभग सात बजे, चंडीगढ़ के आला अधिकारियों और हजारों पुलिसकर्मियों ने शहर की सबसे बड़ी फर्नीचर मार्केट को शाम ढलते-ढलते पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। यह मार्केट पिछले 40 सालों से संचालित हो रही थी और हजारों कारीगरों और उनके परिवारों की रोजी-रोटी का साधन थी। इस कार्रवाई से वे सब अब बेरोजगार हो गए हैं, और उनके बच्चों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
यह मार्केट 1985 में शुरू हुई थी, और अब प्रशासन की इस कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं: यदि इसे उजाड़ना ही था, तो इसे 40 साल तक बसने क्यों दिया गया? इतने लंबे समय तक प्रशासन क्या करता रहा? मार्केट के प्रधान, संजीव भंडारी ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ महीने पहले वे आला अधिकारियों से मिले थे, जहाँ उन्हें वैकल्पिक जगह देने का आश्वासन दिया गया था। भंडारी ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अपने वादे से मुकरते हुए उनकी रोजी-रोटी छीन ली है।
बिना पर्याप्त समय दिए कार्रवाई
भंडारी ने बताया कि उन्हें 12 तारीख (संभवतः जुलाई) को जमीन खाली करने का नोटिस लगाया गया था। उन्होंने प्रशासन से कुछ और समय की मांग की थी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। इस कार्रवाई से लोगों में भारी गुस्सा है। प्रशासन का कहना है कि उन्होंने ₹2000 करोड़ की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया है। हालांकि, यह देखना होगा कि इस बड़े पैमाने पर विस्थापन का शिकार हुए हजारों लोगों और कारीगरों के लिए सरकार और प्रशासन क्या समाधान पेश करते हैं।